डिजिटल माँ

डॉ प्रियंका शुक्ला जी 

डिजिटल माँ

मैं डॉ प्रियंका शुक्ला इस मदर्स डे पर अपने बारे में एक मां के रूप में कैसे जिम्मेदारियां निभाती हूं बताने वाली हूं|

किसी भी माँ को छोटे शब्दों से परिभाषा देना संभव नहीं है। यद्यपि आसान शब्दों में एक माँ निशर्त प्यार देने वाली, रक्षक, खानसामा, गहरी मित्र, देखरेख करने वाली, मनोविज्ञानी एवं अनुशासन देने वाली होती है। वे हमारी हर एक अच्छाई और बुराई को उठती है। किसी भी माँ को उनके कड़े परिश्रम एवं अथक काम के कारण बहुत पहचान एवं सम्मान नहीं मिलता है। एक माँ में बहुत से गुण पाए जाते है। वे क्षमा की मूरत है जोकि हमारी सभी गलतियों को माफ़ करने की क़ाबलियत रखती है। भविष्य में हम किसी परेशानी में ना आ जाये तो वे हमारी गलतियों को भी सुधारने का भरपूर प्रयास भी करती है। 

और यही मां जब डिजिटल हो जाती है तो सोचे वह कितनी स्मार्ट मां बन जाती हैं कुछ ऐसा ही मेरे साथ हुआ पहले मैं मां की जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रही थी और इसी कारण मैंने अपनी टीचर की जॉब छोड़ दी ताकि मैं घर रह कर के अपनी दोनों बेटियों का पालन पोषण कर सकूं। उसी समय मैंने सोशल मीडिया ज्वाइन किया टिक टॉक से मैं फेमस हुई फिर मैं एक इंस्टाग्राम इनफ्लुएंसर बन गई और आज मेरे फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब मिलाकर के लाखों फॉलोअर्स हैं। इस तरह में अपने बच्चों की शिक्षा में मदद करते हुए आर्थिक रूप से भी स्वावलंबी बन चुकी हूं। बच्चों को जब भी कुछ जरूरत होती है फोन के जरिए मैं उनको गाइड करती हूं। इतना ही नहीं उनके टीचर और स्कूल से भी हर वक़्त रहती हूं। तो डिजिटल मां बनने के बाद मेरी मां के जिम्मेदारियों में इजाफा हुआ है और मैं उसको बखूबी निभा रही।




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