डिजिटल माँ

अंबिका प्रजापति जी 

डिजिटल माँ

भगवान का दूसरा रूप होती है माँ। माँ एक आसान सा शब्द हो सकता है लेकिन इस शब्द की गहराई को समझना बड़ा मुश्किल है। माँ हम सब के जीवन का वो पहला शब्द होता है जिसे हम दुःख दर्द में सबसे पहले लेते। बदलते समय के साथ माँ का स्वरूप भी थोड़ा बहुत बदल गया है। आज के समय की मां घर संभालने के साथ और भी बहुत कुछ कर रहीं हैं। मैं भी दो बच्चों की माँ हूं दक्षिता और आरुष।  एक माँ होने के नाते मेरी भी यही कोशिश रहती है कि मैं अपने बच्चों की हर संभव मदद कर सकूंl इन सब में मोबाइल और सोशल मीडिया से मुझे बहुत मदद मिलती हैl कुकिंग का शौक तो मुझे काफी पहले से है अब बच्चे कुछ फरमाइश करते हैं तो जो चीज मुझे बनानी नहीं भी आती है तो मैं यूट्यूब से विडियो देख कर बना लेती हूं। यही नहीं बच्चों को पढ़ाई कराते समय भी गूगल और यूट्यूब से काफी मदद मिलती हैl इन सबसे बच्चे भी खुश हो जाते हैं और एक माँ होने के नाते मुझे भी संतुष्टि मिलती हैl घर और बच्चों का ख्याल रखने के साथ ही अब मैं सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम, यूट्यूब पर भी एक्टिव रहती हूं l सोशल मीडिया के माध्यम से आज बहुत सी मांओं में आत्मविश्वास आया है।




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