डिजिटल माँ

विशाखा पाण्डेय त्रिपाठी जी 

डिजिटल माँ

एक औरत का जीवन आसान नहीं होता है। उसे अपने परिवार के लिए हर स्वरुप में उतरना पड़ता है। डिजिटल बहु, डिजिटल वाइफ, डिजिटल माँ।


जैसे मां दुर्गा के नौ रूप होते हैं वैसे ही एक स्त्री तरह अपने एक रूप में उन नौ देवी का रूप रखती हैं।


जब माँ बनती है तो वह अपने बच्चों के लिए वह पूरे दिलो जान से उनकी परवरिश करती है आधुनिक जमाने में आप मां को डिजिटल मां का दर्जा दे सकते हैं।


जो अपने बच्चों को स्मार्ट बनाने के लिए इंटरनेट से सारी जानकारियां इकट्ठा करके अपने बच्चों तक पहुंचाती है। मेरा 4 साल का बच्चा है जिसे मैं फोन के माध्यम से बहुत सारी जानकारियों से अवगत कराती हूं। उसकी जरूरत के सारे सामान को ऑनलाइन स्टोर से मंगवाती हूं।


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