Digital Durga Campaign by CodesGesture

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डिजिटल दुर्गाकोड्सजेस्चर द्वारा चलाई जा रही एक ऐसी पहल है जिसमे उद्यमी महिलाएं आसानी से जाकर अपने आपको रजिस्टर कर पाएँगी। डिजिटल दुर्गा शहर का एक ऐसा पोर्टल होगा जहां पर गोरखपुर शहर की महिला उद्यमी अपने को एक बड़े प्लेटफ़ार्म पर पाएँगी।

अभी रजिस्टर करें वेबसाइट पर जाकर www.digitaldurga.in

खुद कोड्सजेस्चर करेगा उनका डिजिटल उत्थान और घर की दुर्गा बनेगी डिजिटल दुर्गा। जहां आप आसानी से विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत महिला उद्यमी के व्यवसाए को ढूंढकर समझ पाएंगे और साथ ही साथ उनसे जुड़ी जानकारी ले पाएंगे।

डिजिटल दुर्गा को वास्तविक रूप देने के लिए भी कोड्सजेस्चर टीम ने अंतराष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च को ही चुना।  

इससे पहले भी कोड्सजेस्चर नें डिजिटल उड़ान, बिज़नस नहीं तरीका बदलें और डिजिटल रक्तदाता मुहिम करके ये साबित किया है की शहर अब आईटी क्षेत्र में किसी से पीछे नहीं है। डिजिटल उड़ान नें जहां ठेले रहरी वालों की मुफ्त वेबसाइट बनाकर उन्हे ऑनलाइन किया तो डिजिटल रक्तदाता नें रक्तदाता को रक्तप्राप्तकर्ता से मिलवाने का काम किया। अब डिजिटल दुर्गा आपके सामने है।        

                    

क्या है समस्या ?

आज के परिवेश में एक सामान्य सोच के हिसाब से उद्यम के बारे में सोचना ही समाज के समझ से परे है। अब ये सोच अगर घर की महिलाएं या लड़कियां सोचे तब तो और पहाड़ टूट पड़े। घरों में तनाव का ऐसा माहौल व्याप्त हो जाएगा मानो कोई जघन्य अपराध कर दिया हो।

समाज बदला परिवेश बदला। लोग अब अपने बेटों के साथ बेटियों को भी स्कूल भेजना और ऊंची तालीम देना प्रारम्भ किए। पर जो एक सोच उनके दिल में घर कर के बैठी है उसकी न तो किसी डॉक्टर से इलाज की और न ही समाज ने उसका उपचार किया।

वो सोच है “क्या कहेंगे लोग”। ऊंची तालीम पाकर भी जब उसके इस्तेमाल करने की सही जगह चुनी तो लोगों नें उलाहना दी। घर वालों नें नसीहत दी तो रिश्तेदारों नें ताने दिये। दोस्तों नें मज़ाक उड़ाया तो मोहल्ले वालों नें नुक्स निकाले।

उद्यम रूपी पहाड़ से वो क्या लड़ेगी बेचारी उसके हौसले के पंखों को तो आसपास के लोगों नें कतर दिये।

आखिर कहाँ से मिली प्रेरणा ?

साक्षी सिंह गोरखपुर के सूरजकुंड कोलोंगी की एक साधारण लड़की है। पिता राजेश्वर सिंह घर पर फल की दुकान चलते और माता सुनीता सिंह गृहणी है। पैसे की तंगी शुरू से ही होने की वजह से साक्षी का बचपन बेहद तंगी में बीता। शुरू से पढ़ने में अव्वल रही। स्कूल में सबकी चहेती साक्षी अपने कॉलेज के दिनो में अक्सर अपने पुरानी टूटी फूटी चीजों से कुछ ऐसा बनाकर लोगों को आश्चर्य में डाल देती थी। शौक अपनी चीज होती। साक्षी ने अपनी बीए की डिग्री पूरी करके इसी सोच को उद्यम का रूप देते की परिकल्पना की।

ऐसी परिकल्पना करना ही एक मध्यमवर्गीय सोच के ऊपर से गुजरता। वो कहते हैं न कि सपना देखने वाली आंखें ही उसके वास्तविक सुख को भोग पाती। बाकी लोग तो सुनकर ही संतोष पाते। साक्षी की डगर उतनी भी आसान नहीं थी जैसा उसने सोचा था ठीक वैसा ही हुआ। घर वालों नें नसीहत दी तो रिश्तेदारों नें ताने दिये। दोस्तों नें मज़ाक उड़ाया तो मोहल्ले वालों नें नुक्स निकाले।

घर वालों नें साथ नहीं दिया तो उसने अपना घर छोड़ देना उचित समझा। एक छोटे से क्वार्टर में गोरखपुर के शांतिपुरम मुहल्ले किराए पर रहना शुरू किया। वहाँ से उसने अपने उद्यम की आधारशिला रखी। सुबह छोटे बच्चो को ट्यूसन पढ़ाकर उसके जो पैसे इकट्ठे होते थे उससे उसने कुछ क्राफ्ट तैयार किए। उन क्राफ़्टों को शाम को जाकर अलीनगर, गोलघर व रेती के दुकानों में बेचना शुरू किया।

शुरू में सबने अपना पल्ला झाड़ा। पर किसी तरह एक दुकानदार ने कोई भी मुनाफा न देने पर तैयार हुआ। साक्षी की आँख में चमक थी और हौसलों में आग। वो दुष्यंत कुमार साहब का शेर हैं न।

कौन कहता है

आसमां में सुराख

नहीं हो सकता, 

एक पत्थर तो 

तबियत से उछालो यारों।

उनके शेर को चरितार्थ करती साक्षी नें ज़िंदगी में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज उन्होने अपना क्राफ्ट हाउस खोला है। सुनीता क्रिएटर नाम से। यहाँ भी साक्षी नें अपनी माता जी के नाम से ही अपना काम शुरू किया। सुनीता क्रिएटर में साक्षी न सिर्फ अपने क्राफ्ट बेंचती है बल्कि अपने यहाँ लोगो को मुफ्त ट्रेनिंग भी देकर उन्हे रोजगार परख बनाती। आज उनके माता पिता ही नहीं बल्कि पूरे मुहल्ले वालों को भी साक्षी पर गर्व है। आज साक्षी केवल सुनीता सिंह की बेटी नहीं बल्कि पूरे मोहल्ले की बेटी है। हर माँ अपने घर में एक साक्षी ढूंढती है।

आप सबमे एक साक्षी है। जरूरत है उसे खोजने की।

मिशन डिजिटल दुर्गा ?

गोरखपुर शहर की महिलाओं द्वारा चलाये जा रहे लघु या मध्यम उद्योगों को डिजिटल की ताकत देना।

डिजिटल दुर्गा पोर्टल निभाएगा अपना रोल ।

महिला उद्यम को कहीं और खोजने की जरूरत नहीं। आपके ही घर में जरूर कोई ऐसी महिला जरूर होंगी जो अपना रोज़मर्रा के खर्च निकालने के लिए भी उद्यम कर रही। जरूरत बस इसकी है कि उन्हे कोसने की जगह पर आप उन्हे प्रेरणा दीजिये आगे बढ़ने का हौसला दीजिये। साथ ही साथ उन्हे बनाइये डिजिटल दुर्गा, इसी पोर्टल के माध्यम से। पोर्टल का लक्ष्य है कि अगले 6 महीने में करीब 20000 डिजिटल दुर्गा पंजीकृत हों। हर डिजिटल दुर्गा को ये पोर्टल उनके नाम मोबाइल कार्यक्षेत्र और विवरण के साथ न सिर्फ सूचीबद्ध करेगा बल्कि उन्हे विभिन्न आईटी तकनीक से आगे ले जाने में मदद भी करेगा।

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